अपना फास्‍टैग बैलेंस जानने के लिए करना होना सिर्फ एक मिस्ड कॉल, एनएचएआई ने जारी किया नंबर





फास्टैग इस्‍तेमाल करने वाले लोग फास्टैग में कितना बैलेंस है इसकी जानकारी बस एक मिस्ड कॉल से ले सकेंगे। इंडियन हाईवेज मैनेजमेंट कंपनी ने यह सेवा मुहैया कराई है। यह सुविधा बिल्‍कुल मुफ्त है। भारतीय राष्‍ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) इंडियन हाईवेज मैनेजमेंट कंपनी की प्रमोटर है। जिन फास्टैग उपभोक्ताओं ने अपना मोबाइल नंबर एनएचएआई के पास रजिस्टर कराया है, वे अपने मोबाइल नंबर से 91-8884333331 पर मिस कॉल देकर अपने एनएचएआई प्रीपेड वॉलेट का बैलेंस देख सकते हैं। यह टोल फ्री नंबर चौबीस घंटे काम करेगा।



कम बैलेंस होने पर आएगा मैसेज
अगर एनएचएआई प्रीपेड वॉलेट से एक से अधिक वाहन जुड़े हुए हैं, तो हर वाहन पर लगे सभी फास्टैग्स का बैलेंस मैसेज के जरिए बताया जाएगा। अगर किसी वाहन के फास्टैग में कम बैलेंस है तो रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक अलग एसएमएस भेजा जाएगा।



अब तक जारी हो चुके हैं 1.15 करोड़ फास्‍टैग
एनएचएआई एक जनवरी तक 1.15 करोड़ से ज्‍यादा फास्‍टैग जारी कर चुका है. रोजाना 52 करोड़ रुपये मूल्‍य के ट्रांजेक्‍शन फास्‍टैग के जरिये हो रहे हैं। हाईवे पर लगने वाले जाम से छुटकारा दिलाने के लिए फास्‍टैग को लाया गया है।



रोजाना हो रही 40 करोड़ से ज्यादा की कमाई
फास्टैग व्यवस्था लागू होने के बाद से दिसंबर में सरकार को इन टोल प्लाजा से रोजना 40 करोड़ रुपए से ज्यादा कमाई होने लगी है। इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम के तहत अब तक 1.15 करोड़ से ज्यादा फास्टैग जारी किए जा चुके हैं। एनएचएआई ने कहा है कि अब रोजाना करीब 1 लाख फास्टैग की बिक्री हो रही है।



फास्टैग से पार्किंग और फ्यूल का भी कर सकेंगे भुगतान



  • टोल टैक्स पर टैक्स वसूली के अलावा जल्द ही पूरे देश में फ्यूल पेमेंट और वाहन पार्किंग चार्ज का भुगतान भी किया जा सकेगा। इसकी शुरुआत हैदराबाद एयरपोर्ट से हो चुकी है, जहां कार पार्किंग समेत अन्य चार्ज का भुगतान फास्टैग (FASTag) से होगा। इसे फास्टैग 2.0 नाम से जाना जाएगा। हैदराबाद में सफलता मिलने के बाद यह परियोजना दिल्ली हवाई अड्डे पर भी शुरू की जाएगी।

  • सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने बताया कि फास्टैग 2.0 पायलट प्रोजेक्ट दो फेस में लॉन्च किया है। पहला चरण दरअसल एक नियंत्रित पायलट परीक्षण है, जिसके तहत केवल आईसीआईसीआई टैगों का ही इस्तेमाल किया जाएगा। पायलट परियोजना के दूसरे चरण में सभी अन्य बैंकों द्वारा जारी किए जाने वाले टैगों को कवर किया जाएगा।